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विधायक सुभाष सुधा ने कहा कि केन्द्र सरकार की अग्निपथ योजना के तहत थल सेना, नौसेना व वायुसेना में अग्निवीर के रूप में सेवाएं देने वाले युवाओं को हरियाणा सरकार इसकी तैयारियों के लिए कोचिंग का प्रबंध करेगी। विद्यार्थियों से 11वीं के दाखिले के समय विकल्प लिया जाएगा। आरंभ में प्रदेश के 200 स्कूलों में 50-50 के बैच में इसकी शुरुआत की जाएगी। इसके लिए शारीरिक व शैक्षणिक अलग-अलग स्तर पर प्रशिक्षण पाठ्यक्रम होंगे। शारीरिक प्रशिक्षण के लिए जिला सैनिक बोर्ड तथा इच्छुक भूतपूर्व सैनिक, जो अपनी सेवाकाल के दौरान सेना की ट्रेनिंग संस्थान व भर्ती कार्यालयों में रहे हैं, को वरीयता दी जाएगी। शैक्षणिक पाठ्यक्रम के लिए स्कूल के अध्यापकों की सेवाएं ली जाएंगी। आरंभ में प्रशिक्षण कार्यक्रम सप्ताह के अंत में और बाद में गर्मी की छुट्टियों के दौरान एक महीने चलाया जाएगा।
विधायक सुभाष सुधा ने बातचीत करते हुए कहा कि हरियाणा सरकार की 1.80 लाख वार्षिक आय वाले परिवारों को दी जाने वाली सरकारी योजनाओं के लाभ की तर्ज पर ऐसे परिवारों के बच्चों को भी अग्निवीर कोचिंग की सुविधा निशुल्क होगी। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पाठ्यक्रम का प्रारूप तैयार किया जाएगा। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान व बहु-तकनीकी संस्थानों के विद्यार्थियों के लिए भी कोचिंग सुविधा उपलब्ध होगी। उन्होंने अग्निवीर भर्ती प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि 10वीं पास युवाओं की अग्निवीर (सामान्य ड्यूटी) तथा 12वीं पास युवाओं की अग्निवीर (टेक्निकल) के रूप में भर्ती होगी। इस वर्ष आयु सीमा 17 से 23 वर्ष है और अगले वर्ष से अग्निपथ योजना के नियमों अनुसार 17 से 21 वर्ष होगी। अग्निवीर के रूप में सेवा करने उपरांत अग्निवीरों को सेना की ओर से कौशल योग्यता प्रमाण पत्र दिया जाएगा। जिसके आधार पर वह सिविल में भी नौकरी पा सकता है।
उन्होंने कहा कि थल सेना, नौसेना, वायु सेना सभी की भर्ती प्रक्रिया की शर्तें पूर्व-निर्धारित शर्तों के अनुरूप ही रहेंगी। नौसेना और वायुसेना में 12वीं (विज्ञान विषयों के साथ) तथा सेना के लिए 10वीं और 12वीं (कला विषय) के साथ रहेगी। अग्निवीर, नौसेना और वायुसेना के लिए एनसीसी ए, बी व सी प्रमाण पत्र प्राप्त युवाओं को अलग से अंक दिए जाएंगे। एनसीसी के आरडी परेड वाले कैडेट्स को भी वरीयता मिलेगी। कोचिंग का मुख्य उद्देश्य क्रैश कोर्स के माध्यम से युवाओं को सैनिक जीवन के बारे में जागरूक करना भी है। कोचिंग के कार्यक्रम प्री-रिक्रूटमेंट्स ट्रेनिंग की तरह होंगे। अग्निवीर कोचिंग लेने के बाद विद्यार्थी आगे सेना में भर्ती होने के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार होगें।