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कुरुक्षेत्र गांव-गांव में शिक्षा विभाग की तरफ से निकाली जाएगी जागरुकता रैली, कृषि विभाग के अधिकारी प्रत्येक गांव में लगाएंगे जागरूकता शिविर, लोगों को पराली व अवशेषों में आग ना लगने के प्रति करेंगे जागरूक, पराली को जलाने से होने वाले नुकसान और पराली से होने वाले लाभ की किसानों को देंगे जानकारी, उपायुक्त ने किसानों से पराली न जलाने की।
उपायुक्त शांतनु शर्मा ने कहा कि कुरुक्षेत्र जिले में किसानों व आमजन को पराली व फसल अवशेष ना जलाने के प्रति एक महा जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इस जागरूकता अभियान के तहत गांव और ब्लॉक स्तर पर एसडीएम और अन्य अधिकारियों के नेतृत्व में फ्लैग मार्च निकाले जाएंगे। इतना ही नहीं शिक्षा विभाग की तरफ से बच्चों के माध्यम से पराली से होने वाले नुकसान और पराली प्रबंधन से होने वाले लाभ विषय को लेकर जागरूकता रैली निकाली जाएगी और कृषि विभाग के अधिकारी प्रत्येक गांव में जागरूकता शिविर लगाएंगे। अहम पहलू यह है कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की तरफ से खेतों में फसल अवशेषों का प्रबंधन करने के उद्देश्य से 115 ग्राम पंचायतों को निशुल्क, 646 किसानों को 80 फीसदी अनुदान और 3173 एकल किसानों को 5743 कृषि यंत्र 50 फीसदी अनुदान पर उपलब्ध करवाएं जा चुके है। इसके साथ ही 470 ओर किसानों को जल्द ही कृषि यंत्र उपलब्ध करवाएं जाएंगे।
उपायुक्त शांतनु शर्मा ने कुरुक्षेत्र जिले के तमाम किसानों से पराली ना जलाने और पराली का प्रबंधन करने की अपील करते हुए कहा कि पराली को आग लगाने से पर्यावरण दूषित होता और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम होने के साथ-साथ मित्र कीट समाप्त हो जाते है। अगर किसान पराली का उचित प्रबंधन करेंगे तो उन्हें सरकार की तरफ से प्रोत्साहन राशि देेने के साथ-साथ अन्य लाभ भी मिलेगा और पर्यावरण स्वच्छ भी रहेगा। कुरुक्षेत्र जिले में किसानों और आमजन को पराली में आग न लगाने के प्रति जागरूक करने के लिए एसडीएम उपमंडल स्तर पर सभी अधिकारियों को साथ लेकर गांव-गांव में जाएंगे और संबंधित गांव के नंबरदार, पूर्व सरपंच, किसान और प्रभावी लोगों के साथ बैठक कर लोगों को जागरूक करेंगे। इसके साथ ीि जिला शिक्षा विभाग के माध्यम से प्रत्येक गांव में बच्चों द्वारा जन चेतना रैलियों का आयोजन करके, गांव में पराली न जलाने का एक माहौल तैयार करेंगे। इसके साथ ही एसडीएम गांव, ब्लॉक और उपमंडल स्तर पर फ्लैग मार्च निकालने का प्रोग्राम तैयार करेंगे।


उपायुक्त ने कहा कि सभी अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में मेहनत और ईमानदारी के साथ ड्यूटी का निर्वहन करेंगे और अपने क्षेत्र पर पैनी निगाहें रखेंगे ताकि कोई भी व्यक्ति फानो में आग ना लगा पाए, अगर कहीं पर भी आग लगाने से सम्बन्धित मामला नजर आए तो प्रशासन को रिपोर्ट करना सुनिश्चित करें। उपायुक्त ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि फसल कटाई के बाद बच्चे हुए अवशेषों में आग नहीं लगानी चाहिए। बल्कि फसल अवशेष प्रबंधन को अपनाकर वित्तीय लाभ भी प्राप्त कर सकते है। फसल अवशेष प्रबंधन करने पर केवल लाभ ही लाभ है, पराली को मिट्टी में मिला कर मिट्टी की ताकत बढ़ती है जिससे फसल की गुणवत्ता, उपज एवं बीमारी एवं कीड़ों से लड़ने की ताकत में बढ़ोतरी होती है।
उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी आपसी तालमेल बनाएं रखेंगे और किसी भी घटना के घटने पर तुरंत कार्रवाई करना सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर गांव-गांव में जाकर पराली का प्रबंधन करने से सम्बन्धित योजनाओं की जानकारी देंगे ताकि किसान जागरूक हो सके और फानो में आग ना लगाकर प्रबंधन करने की तरफ आगे बढे। फानों को मिट्टी में दबाने से फायदा मिलता है। केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से कस्टम हायरिंग सेंटर के लिए करोड़ों रुपए की राशि जारी की गई है। इसके तहत 50 प्रतिशत से 80 प्रतिशत सब्सिडी का भी प्रावधान किया गया है ताकि किसान फसल अवशेषों को जलाने की बजाए अवशेषों को खेत में ही मिलाने के लिए कृषि यंत्रों का प्रयोग कर सकें। कृषि विभाग की ओर से किसानों को हैपी सीडर, बेलर व रोटावेटर उपलब्ध करवाए गए है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पिछले तीन साल से सैकड़ों की संख्या में कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से कृषि यंत्र बैंक बनाये गये है, इन कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से छोटे से छोटा किसान भी सरकारी रेट पर कृषि यंत्रों के माध्यम से धान के फसल अवशेष प्रबंधन कर सकता है। यह सेंटर लगभग प्रत्येक गांव में स्थापित किये जा चुके है, इसके अलावा व्यक्तिगत श्रेणी में भी सरकार द्वारा किसानों को सैकड़ों की संख्या में कृषि यंत्र अनुदान पर उपलब्ध करवाए गये है ताकि किसान फसल अवशेष प्रबंधन कर सके। उपायुक्त ने किसानों को धान की फसल की कटाई उपरांत फसल अवशेष न जलाने बारे अपील करते हुए कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन के अंतर्गत यदि किसान धान की पराली की बेलर मशीन द्वारा गांठ बना कर किसी संस्था, पंचायत या गौशाला में देता है तो सरकार उसे 1 हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान देगी, इसके लिए किसान को कृषि विभाग की वेबसाइट पर पंजीकरण करवाना होगा एवं किसान का मेरी फसल मेरी ब्यौरा पर पंजीकृत होना अति आवश्यक है।